बहुत जी लिया ज़िन्दगी के लिए ,
अब कुछ पल ख़ुदगर्ज़ी में जी लें ज़रा,
ये गठरी ख़्वाबों-ख़्वाहिशों की,
जो वक़्त में दबी थी कहीं,
अब मेरे लफ़्जों से,
ज़िंदगी के ख़ाली पन्ने, भरेंगी अभी,
कुछ अनकहे क़िस्से ,
कुछ ु भूले जज़्बात ,
किसी मोड़ पर खड़े वो हसीन पल,
वो जीने का अंदाज़,
पर क्यूँ आ रहा है फिर यह यादों का सैलाब ,
लगता है दिल को फिर है ख़ूबसूरत वजह की तलाश।